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GTT और OCO ऑर्डर |
GTT और OCO ऑर्डर कैसे लगाते हैं?
GTT ऑर्डर कैसे लगाते हैं?
GTT का पूरा नाम है "Good Till Triggered"।
सरल शब्दों में, GTT ऑर्डर एक खास तरह का ऑर्डर है जो आपको किसी भी शेयर को खरीदने या बेचने के लिए एक मनपसंद कीमत सेट करने की सुविधा देता है। यह ऑर्डर तब तक एक्टिव रहता है जब तक शेयर की कीमत आपके द्वारा सेट की गई कीमत तक पहुँच नहीं जाती। जब शेयर की कीमत उस लेवल पर आती है, तब यह GTT ऑर्डर एक नॉर्मल मार्केट या लिमिट ऑर्डर में बदल जाता है और अपने आप एग्जीक्यूट हो जाता है।
अगर आप अक्सर ट्रेडिंग नहीं करते हैं या आपके पास हर दिन मार्केट ट्रैक करने का समय नहीं होता, तो GTT ऑर्डर आपके लिए बहुत फायदेमंद है।
GTT ऑर्डर कैसे लगाते हैं?
GTT ऑर्डर लगाना बहुत आसान है। हर ट्रेडिंग ऐप में यह सुविधा होती है। हालाँकि, कुछ ऐप्स में प्रक्रिया थोड़ी अलग हो सकती है, पर मूल स्टेप्स एक जैसे ही होते हैं:
- शेयर चुनें: सबसे पहले, उस शेयर का चुनाव करें जिसे आप खरीदना या बेचना चाहते हैं।
- GTT ऑर्डर टाइप चुनें: ऐप में खरीदें (Buy) या बेचें (Sell) का विकल्प चुनें और फिर ऑर्डर टाइप में GTT को सेलेक्ट करें।
- ट्रिगर प्राइस सेट करें: यहाँ आपको वह कीमत डालनी है जिस पर आपका GTT ऑर्डर एक्टिव होगा। उदाहरण के लिए, अगर किसी शेयर की कीमत अभी ₹100 है और आप इसे ₹90 पर खरीदना चाहते हैं, तो ₹90 आपका ट्रिगर प्राइस होगा।
- शेयर की संख्या (Quantity) डालें: अब आपको बताना है कि आप उस कीमत पर कितने शेयर खरीदना या बेचना चाहते हैं।
- ऑर्डर प्लेस करें: सारी जानकारी चेक करने के बाद, अपना ऑर्डर प्लेस कर दें। अब आपको कुछ नहीं करना। जब भी शेयर का भाव आपके सेट किए गए ट्रिगर प्राइस को टच करेगा, आपका ऑर्डर अपने आप एग्जीक्यूट हो जाएगा।
चलिए, एक आसान उदाहरण के साथ GTT ऑर्डर को समझते हैं।
मान लीजिए कि आप Reliance Industries का शेयर खरीदना चाहते हैं। आज, इसकी कीमत ₹1,350 प्रति शेयर है। आपको लगता है कि यह कीमत अभी थोड़ी ज़्यादा है और आप इसे ₹1,200 पर खरीदना पसंद करेंगे।
अब, आपके पास दो तरीके हैं:
- आप हर दिन बाज़ार को ट्रैक करें: आप हर दिन स्टॉक मार्केट खोलकर देखें कि क्या Reliance का शेयर ₹1,200 पर आया है या नहीं। यह बहुत समय लेने वाला और मुश्किल काम है। हो सकता है कि आप उस दिन इसे देख ही न पाएं जब यह ₹1,200 पर आता है।
GTT ऑर्डर का उपयोग करें: आप अपने ट्रेडिंग ऐप में एक GTT Buy Order लगा सकते हैं।
- शेयर: Reliance Industries
- ट्रिगर प्राइस: ₹1,200
- शेयर की संख्या: 10 (या आपकी पसंद के अनुसार)
एक बार जब आप यह ऑर्डर प्लेस कर देते हैं, तो आपका ट्रेडिंग ऐप इस ऑर्डर को "एक्टिव" कर देता है। अब, आपको कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं है। जब भी Reliance का शेयर ₹1,200 पर आएगा, आपका GTT ऑर्डर अपने आप एक नॉर्मल Buy Order में बदल जाएगा और 10 शेयर अपने आप आपके लिए खरीद लिए जाएँगे।
इसी तरह, अगर आपके पास पहले से ही Reliance के शेयर हैं और आप उन्हें ₹1,600 पर बेचना चाहते हैं, तो आप एक GTT Sell Order लगा सकते हैं। जब शेयर की कीमत ₹1,600 तक पहुँचेगी, तो यह अपने आप बिक जाएगा।
GTT ऑर्डर का सबसे बड़ा फायदा यही है कि यह आपके लिए एक तरह का ऑटोमेटेड असिस्टेंट बन जाता है, जो आपकी शर्तों के हिसाब से काम करता है।
ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस में क्या अंतर है?
- ट्रिगर प्राइस: यह वह प्राइस है जिस पर आपका GTT ऑर्डर एक्टिव हो जाता है और एक्सचेंज को भेजा जाता है। यह ऑर्डर तब तक एक्सचेंज पर नहीं जाता जब तक यह प्राइस हिट नहीं हो जाता।
- लिमिट प्राइस: यह वह मैक्सिमम (खरीदने के लिए) या मिनिमम (बेचने के लिए) प्राइस है जिस पर आपका ऑर्डर एग्जीक्यूट होगा।
जब शेयर की कीमत आपके ट्रिगर प्राइस पर आती है, तो आपका GTT ऑर्डर, आपके द्वारा सेट किए गए लिमिट प्राइस के साथ, एक रेगुलर ऑर्डर की तरह एक्सचेंज पर भेजा जाता है।
खरीदने (Buy) के ऑर्डर के लिए:
जब आप कोई स्टॉक खरीदना चाहते हैं तो आपको ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस दोनों को मौजूदा मार्केट प्राइस से कम रखना चाहिए।
- ट्रिगर प्राइस को लिमिट प्राइस से ज़्यादा रखें।
उदाहरण: मान लीजिए कि एक शेयर की कीमत अभी ₹100 है। आप इसे ₹90 पर खरीदना चाहते हैं।
- ट्रिगर प्राइस: ₹90 (जैसे ही शेयर की कीमत ₹90 पर आएगी, आपका ऑर्डर एक्टिव हो जाएगा)
- लिमिट प्राइस: ₹90 से कम, जैसे ₹89.50 (यह वह सबसे कम कीमत है जिस पर आप खरीदना चाहते हैं)।
इस तरह, जब शेयर का भाव ₹90 पर आएगा, तो आपका ऑर्डर ₹89.50 या उससे कम की कीमत पर खरीदने के लिए चला जाएगा।
बेचने (Sell) के ऑर्डर के लिए:
जब आप कोई स्टॉक बेचना चाहते हैं तो आपको ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस दोनों को मौजूदा मार्केट प्राइस से ज़्यादा रखना चाहिए।
- ट्रिगर प्राइस को लिमिट प्राइस से कम रखें।
उदाहरण: मान लीजिए कि आपके पास एक शेयर है जिसकी कीमत अभी ₹100 है। आप इसे ₹110 पर बेचना चाहते हैं।
- ट्रिगर प्राइस: ₹110 (जैसे ही शेयर की कीमत ₹110 पर आएगी, आपका ऑर्डर एक्टिव हो जाएगा)
- लिमिट प्राइस: ₹110 से ज़्यादा, जैसे ₹110.50 (यह वह सबसे ज़्यादा कीमत है जिस पर आप बेचना चाहते हैं)।
कितना अंतर रखना चाहिए?
ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस के बीच का अंतर ज़्यादा नहीं रखना चाहिए। ज़्यादातर ब्रोकर, जैसे कि Zerodha, Upstox, या Angel One, इस अंतर के लिए कुछ सीमाएँ (permissible range) रखते हैं, खासकर स्टॉप-लॉस ऑर्डर के लिए।
- छोटा अंतर (Narrow Gap): यह सुनिश्चित करता है कि आपका ऑर्डर ट्रिगर होने के बाद उसी कीमत के आस-पास एग्जीक्यूट हो।
- बड़ा अंतर (Wide Gap): अगर आप बहुत बड़ा अंतर रखते हैं, तो आपका ऑर्डर एग्जीक्यूट नहीं भी हो सकता, खासकर अगर मार्केट में बहुत तेज़ी से उतार-चढ़ाव हो रहा हो।
सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपनी ब्रोकिंग फर्म की गाइडलाइन्स चेक करें, क्योंकि यह अंतर हर ब्रोकर के लिए थोड़ा अलग हो सकता है।
GTT ऑर्डर के फायदे:
- सुविधाजनक: आपको हर समय मार्केट देखने की ज़रूरत नहीं पड़ती। एक बार ऑर्डर सेट कर देने के बाद, यह तब तक एक्टिव रहता है जब तक आपका ट्रिगर प्राइस नहीं पहुँच जाता।
- जोखिम प्रबंधन (Risk Management): आप GTT का उपयोग करके स्टॉप-लॉस ऑर्डर भी लगा सकते हैं, जिससे आप अचानक होने वाले नुकसान से बच सकते हैं।
- सही मौके का फायदा: अगर आप किसी शेयर को एक खास कीमत पर खरीदना चाहते हैं जो अभी उपलब्ध नहीं है, तो आप GTT ऑर्डर लगाकर सही मौके का इंतज़ार कर सकते हैं। जब कीमत उस लेवल तक आएगी, तो आपका ऑर्डर अपने आप लग जाएगा।
OCO ऑर्डर कैसे लगाते हैं?
OCO का पूरा नाम है "One Cancels the Other"।
OCO का मतलब होता है "One Cancels the Other" (एक दूसरे को रद्द करता है)।
OCO ऑर्डर कैसे काम करता है?
मान लीजिए, आपने ₹500 में कोई शेयर खरीदा है। आप चाहते हैं कि अगर शेयर की कीमत बढ़कर ₹550 हो जाए तो वह अपने आप बिक जाए ताकि आपको मुनाफा हो, और अगर कीमत गिरकर ₹480 हो जाए तो वह भी बिक जाए ताकि आपको ज्यादा नुकसान न हो।
ऐसे में आप OCO ऑर्डर का इस्तेमाल कर सकते हैं:
- टारगेट प्राइस ऑर्डर: आप ₹550 पर बेचने का एक लिमिट ऑर्डर लगाएंगे।
- स्टॉप-लॉस ऑर्डर: आप ₹480 पर बेचने का एक स्टॉप-लॉस ऑर्डर लगाएंगे।
ये दोनों ऑर्डर एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।
- अगर शेयर की कीमत ₹550 तक पहुंच जाती है, तो आपका टारगेट प्राइस ऑर्डर पूरा हो जाएगा और आपका स्टॉप-लॉस ऑर्डर अपने आप रद्द (cancel) हो जाएगा।
- अगर शेयर की कीमत ₹480 तक गिर जाती है, तो आपका स्टॉप-लॉस ऑर्डर ट्रिगर हो जाएगा और आपका टारगेट प्राइस ऑर्डर अपने आप रद्द हो जाएगा।
इस तरह, एक ऑर्डर के पूरा होने पर दूसरा ऑर्डर खुद ही कैंसिल हो जाता है, जिससे आप एक ही समय में मुनाफा बुक करने और नुकसान को सीमित करने की रणनीति बना सकते हैं।
OCO ऑर्डर लगाने के फायदे:
- जोखिम प्रबंधन (Risk Management): यह आपको अपने नुकसान को पहले से ही तय करने और नियंत्रित करने में मदद करता है।
- स्वचालन (Automation): आपको हर समय बाजार को मॉनिटर करने की जरूरत नहीं होती है।
एक बार ऑर्डर लगाने के बाद, यह अपने आप काम करता है। - भावनात्मक नियंत्रण (Emotional Control): यह आपको बाजार के उतार-चढ़ाव में जल्दबाजी में गलत निर्णय लेने से बचाता है, क्योंकि आपके बेचने के स्तर पहले से ही तय होते हैं।
OCO ऑर्डर कैसे लगाएं?
OCO ऑर्डर लगाने का तरीका आपके ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (जैसे Zerodha, Groww, Angel One आदि) पर निर्भर करता है। लेकिन सामान्य प्रक्रिया कुछ इस तरह होती है:
- अपने ट्रेडिंग अकाउंट में लॉग इन करें।
- जिस स्टॉक या इंस्ट्रूमेंट में आप ट्रेड करना चाहते हैं, उसे चुनें।
- आमतौर पर, ऑर्डर प्लेस करने के विकल्प में आपको "GTT" (Good Till Triggered) या "OCO" का विकल्प मिलेगा। इसे चुनें।
अब आपको दो प्राइस लेवल डालने होंगे:
- टारगेट प्राइस (Limit Price): वह कीमत जिस पर आप मुनाफा बुक करना चाहते हैं।
- स्टॉप-लॉस प्राइस (Stop-Loss Price): वह कीमत जिस पर आप नुकसान को सीमित करना चाहते हैं।
- शेयरों की संख्या (Quantity) डालें
- अपना ऑर्डर सबमिट करें।
यह ऑर्डर तब तक सक्रिय (active) रहेगा जब तक कि कोई एक शर्त पूरी नहीं हो जाती या फिर आप उसे खुद मैन्युअल रूप से रद्द नहीं कर देते।
अगर आपको OCO ऑर्डर लगाने में कोई दिक्कत आ रही है, तो अपने ब्रोकर के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के हेल्प सेंटर या सपोर्ट सेक्शन में देखें। वहां आपको विस्तृत जानकारी मिल सकती है।
एक ट्रेडर के रूप में, आपको ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस के बीच का अंतर बहुत सोच-समझकर रखना चाहिए ताकि आपका ऑर्डर सही समय पर और सही कीमत पर पूरा हो सके। इन दोनों के बीच कितना अंतर रखना है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरह का ऑर्डर लगा रहे हैं (खरीदने या बेचने का), और बाजार में कितनी अस्थिरता (volatility) है।
Trigger Price और Limit Price क्या हैं?
समझने के लिए, एक उदाहरण लेते हैं: मान लीजिए कि आप ₹100 पर चल रहे एक शेयर के लिए स्टॉप-लॉस बेचने का ऑर्डर (Stop-Loss Sell Order) लगा रहे हैं।
- Trigger Price (ट्रिगर प्राइस): यह वह कीमत है जिस पर आपका स्टॉप-लॉस ऑर्डर एक्टिवेट होता है। यह एक तरह का अलार्म है जो आपके ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को बताता है कि अब ऑर्डर को एक्सचेंज में भेजने का समय आ गया है। इस उदाहरण में, आप ट्रिगर प्राइस ₹95 तय करते हैं। जब शेयर की कीमत ₹95 तक गिरेगी, तो आपका ऑर्डर एक्टिवेट हो जाएगा।
- Limit Price (लिमिट प्राइस): यह वह न्यूनतम कीमत है जिस पर आप अपने शेयर बेचना चाहते हैं। एक बार जब ट्रिगर प्राइस हिट हो जाता है, तो आपका ऑर्डर एक्सचेंज में लिमिट ऑर्डर के रूप में भेजा जाता है। इस उदाहरण में, आप लिमिट प्राइस ₹94 तय करते हैं। इसका मतलब है कि आपका ऑर्डर ₹94 या उससे ऊपर की किसी भी कीमत पर पूरा हो सकता है, लेकिन ₹94 से नीचे नहीं।
अंतर कितना रखें?
- मान लीजिए आपने ट्रिगर प्राइस ₹95 और लिमिट प्राइस ₹94.90 रखा है।अगर बाजार में अचानक बहुत तेजी से गिरावट आती है (जो अक्सर अस्थिरता वाले शेयरों में होता है), तो ₹95 हिट होते ही शेयर की कीमत सीधे ₹94.50 पर चली जाती है।इस स्थिति में, आपका ऑर्डर ₹94.90 की लिमिट के कारण पूरा नहीं हो पाएगा और आप अपना नुकसान नहीं रोक पाएंगे। आपका ऑर्डर अनएक्सीक्यूटेड (unexecuted) रह जाएगा।अगर आप अंतर (स्प्रेड) बहुत ज्यादा रखते हैं:
- मान लीजिए आपने ट्रिगर प्राइस ₹95 और लिमिट प्राइस ₹90 रखा है।आपका ऑर्डर तो पूरा हो जाएगा, लेकिन हो सकता है कि वह ₹94 या ₹93 जैसी बेहतर कीमत पर पूरा होने के बजाय ₹90 पर पूरा हो, जिससे आपको ज्यादा नुकसान हो सकता है।
सही अंतर कैसे तय करें?
- ज्यादा अस्थिर स्टॉक: अगर आप एक ऐसे स्टॉक में ट्रेड कर रहे हैं जिसकी कीमत बहुत तेजी से ऊपर-नीचे होती है (जैसे कि छोटे-मोटे या पेनी स्टॉक), तो आपको ट्रिगर और लिमिट प्राइस में थोड़ा ज्यादा अंतर रखना चाहिए। इससे अचानक आई गिरावट में भी आपका ऑर्डर पूरा होने की संभावना बढ़ जाती है।
- कम अस्थिर स्टॉक: अगर आप एक स्थिर स्टॉक में ट्रेड कर रहे हैं (जैसे कि ब्लू-चिप कंपनियां), तो आप कम अंतर रख सकते हैं।
ऑर्डर का प्रकार:
- स्टॉप-लॉस बेचने का ऑर्डर: ट्रिगर प्राइस (जैसे ₹95) लिमिट प्राइस (जैसे ₹94) से हमेशा ज्यादा होना चाहिए।
- स्टॉप-लॉस खरीदने का ऑर्डर: ट्रिगर प्राइस (जैसे ₹105) लिमिट प्राइस (जैसे ₹106) से हमेशा कम होना चाहिए। यह तब इस्तेमाल होता है जब आप रेजिस्टेंस लेवल के टूटने पर खरीदारी करना चाहते हैं।
- एक्सचेंज के नियम:भारतीय स्टॉक एक्सचेंज (NSE, BSE) ने इस अंतर पर कुछ नियम बना रखे हैं। उदाहरण के लिए, NSE में ₹50 से ज्यादा के शेयरों के लिए यह अंतर अधिकतम 3% हो सकता है। अगर आप इससे ज्यादा अंतर रखते हैं, तो आपका ऑर्डर रिजेक्ट हो जाएगा।
इसे इस तरह समझे:
Target Trigger price 16.25
Limit price 16.00
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