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KNOW INDIAN STOCK MARKET


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Indian stock market
INDIAN STOCK MARKET 


शेयर बाजार क्या है?

शेयर बाजार यानी इक्विटी मार्केट एक ऐसा प्लैटफॉर्म है, जो कंपनियों और निवेशकों को एक-दूसरे से जोड़ता है। कंपनियां पूंजी जुटाने के लिए शेयर बाजार में लिस्ट होती हैं। शेयर बाजार में लिस्टिंग के बाद निवेशक कंपनियों के शेयरों खरीदते -बेचते हैं।

बीएसई और एनएसई

भारत में दो बड़े शेयर बाजार हैं, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई। बीएसई एशिया का सबसे पुराना शेयर बाजार है। इसकी स्थापना 1895 में की गई थी। एनएसई भारत का सबसे बड़ा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार है।

सेंसेक्स और निफ्टी

सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएसई का संवेदी सूचकांक है। सेंसेक्स में बीएसई की टॉप 30 कंपनियां शामिल की जाती हैं इसलिए इसे बीएसई 30 (BSE 30) भी कहते हैं। बाजार पूंजीकरण के हिसाब से सेंसेक्स में शामिल 30 कंपनियां बदलती रहती हैं।

निफ्टी नैशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई का संवेदी सूचकांक है। निफ्टी दो शब्दों को मिला कर बना है NATIONAL और FIFTY। इससे साफ पता चलता है कि निफ्टी एनएसई की टॉप 50 कंपिनयां शामिल होती हैं।

ट्रेडिंग की शुरुआत

शेयर बाजार में ट्रेडिंग यानी शेयरों की खरीद-बिक्री के लिए बैंक, डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट जरूरत होती है। शेयर डीमैट अकाउंट में जमा होते हैं और ट्रेडिंग अकाउंट के जरिये शेयरों की खरीद-बिक्री की जाती है।

ETF - एक्सचेंज ट्रेडेड फंड

  1. क्या है PSE ETF?
    Nifty PSE Index में वे कंपनियां शामिल हैं जिनकी आउटस्टेंडिंग शेयर कैपिटल का 51% प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सर्कर/या राज्य सरकार के पास है। इसमें 20 स्टॉक्स हैं।
  2. क्या है ETF?
    ETF मतलब एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, जो इंडेक्स, कमोडिटी, बॉन्ड्स जैसे असेट को ट्रेक करते हैं। एम्फी के अनुसार सरल शब्दों में ETF वे फंड हैं जो CNX Nifty या BSE Sensex जैसे इंडेक्स को ट्रैक करते हैं। जब आप ETF के शेयर/यूनिट खरीदते हैं, तो आप एक पोर्टफोलियो के शेयर/यूनिट खरीद रहे हैं जो इसके नेटिव इंडेक्स की यील्ड और रिटर्न को ट्रैक करता है।
  3. क्या है अंतर?
    ETF और अन्य प्रकार के इंडेक्स फंड के बीच मुख्य अंतर यह है कि ETF अपने संबंधित इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश नहीं करते हैं, बल्कि केवल इंडेक्स के प्रदर्शन को दोहराते हैं। ETF पैसिवली मैनेज्ड होते हैं। इसका उद्देश्य एक विशेष मार्केट इंडेक्स से मेल खाना है, इसलिए इसका फंड मैनेजमेंट स्टाइल पैसिव होता है।
  4. एक्टिव MF से अलग कैसे?
    शेयर बाजार में ट्रेडिंग के चलते इसे खरीदना और बेचना अपेक्षाकृत आसान है। इसमें निवेश के लिए आपको म्यूचुअल फंड के डिस्ट्रिब्यूटर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ती। म्यूचुअल फंड की आम स्कीमों में अपनी यूनिट्स 
    बेचने के लिए भी आपको म्यूचुअल फंड कंपनी के पास जाना पड़ता है। शेयर बाजार में खरीद-फरीख्त होने से इसकी कीमत रियल टाइम होती है। ईटीएफ खरीदने के लिए आपको अपने ब्रोकर के माध्यम से डीमैट अकाउंट खोलना होता है। इसके माध्यम से आप खरीद फरोख्त कर सकते हैं। यह बात म्यूचुअल फंड स्कीम में लागू नहीं होती।


आईपीओ (IPO) क्या है ?

आईपीओ (IPO) का मतलब है “आम प्रारंभिक ऑफर”। संक्षिप्त भाषा मैं इसका नाम प्रारंभिक  प्रथम सार्वजनिक  पेशकश हैं ।  जब कोई कंपनी पहली बार शेयर बाजार में आती है और अपने शेयरों को खुले बाजार में उपलब्ध कराती है, तो इसे आईपीओ कहा जाता है। यह कंपनी के प्रमोटर द्वारा किया जाता है, जो अपने व्यवसाय को वित्तीय संस्थाओं और जनता के साथ साझा करने का निर्णय लेते हैं।

Mutual Fund: 

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान एक प्रकार का म्यूचुअल फंड निवेश है जो एकमुश्त निवेश से अलग होता है। हर कोई एक ही राशि या कुल राशि में म्यूचुअल फंड में निवेश नहीं कर सकता है, इसलिए एसआईपी या आवधिक भुगतान एक आम विकल्प है। एसआईपी निवेश निवेशकों को हर महीने एक निश्चित राशि निवेश करने की अनुमति देता है। कोई भी व्यक्ति कम से कम 100 रुपये प्रति माह से एसआईपी शुरू कर सकता है।



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  2. Chartink.com
  3. Ticker.finology.in
  4. Tickertape.in
  5. Trendlyne.com
  6. Tradingview.com
  7. Investing.com
  8. Moneycontrol.com
  9. Nseindia.com
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  12. Niftytrader.in
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Warren Buffett के 5 निवेश सीक्रेट्स जो आपकी रणनीति बदल देंगे

Warren Buffett के 5 निवेश सीक्रेट्स जो गिरते मार्केट में आपकी रणनीति बदल देंगे: स्टॉक मार्केट में नुकसान होना नई बात नहीं है, लेकिन इसे समझदारी से संभालना ही सही निवेशक की पहचान है। अगर आपके पोर्टफोलियो में घाटा हो रहा है या प्रॉफिट घट रहा है, तो घबराने की ज़रूरत नहीं है। इस लेख में हम Warren Buffett की निवेश रणनीतियों और 5 ज़रूरी बिंदुओं पर चर्चा करेंगे। इन टिप्स को अपनाकर आप अपने निवेश को सही दिशा में ले जा सकते हैं।

1. Warren Buffett की Cash Hedging Strategy

Warren Buffett ने अपनी कुल $350 बिलियन की होल्डिंग में से एक बड़ा हिस्सा कैश में रखा है।

  • कैश हेजिंग (Cash Hedging): इसका मतलब है कि मार्केट में गिरावट होने पर वे उस कैश का इस्तेमाल नए निवेश के लिए करते हैं।
  • वे बॉन्ड्स में निवेश करने से बचते हैं और सिर्फ उन्हीं स्टॉक्स में ध्यान देते हैं जो लंबे समय में बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं।
    सीख: यदि मार्केट में गिरावट हो रही है, तो कैश सुरक्षित रखें और सही समय पर निवेश करें।

2. लॉस को समझना और स्वीकार करना

मार्केट में 10-11% का करेक्शन होना सामान्य है। इसका मतलब है कि अगर आपका पोर्टफोलियो पहले 40% प्रॉफिट पर था और अब 29% पर आ गया है, तो इसे सामान्य मानें।

  • मार्केट टाइमिंग का भ्रम: कोई भी व्यक्ति मार्केट के टॉप और बॉटम को सटीक समय पर प्रेडिक्ट नहीं कर सकता।
  • Warren Buffett भी अपनी कुल होल्डिंग्स का 70-80% एक साथ नहीं बेचते। वे पोर्टफोलियो में संतुलन बनाए रखते हैं।
    सीख: लंबे समय तक निवेश बनाए रखें और करेक्शन के समय घबराएं नहीं।

3. पोर्टफोलियो ऑडिट करें

अपने पोर्टफोलियो में कौन से स्टॉक्स नुकसान में हैं, इसका विश्लेषण करें।

  • हाई-क्वालिटी एसेट्स: Nifty 50 जैसे इंडेक्स में निवेश करें, क्योंकि ये मजबूत और कम रिस्क वाले हैं।
  • कमजोर कंपनियों से बचें: उदाहरण के लिए, Mamaearth जैसी कंपनियों का प्रॉफिट मॉडल कमजोर है। ऐसी कंपनियों का PE (Price-to-Earnings) रेश्यो बहुत ज़्यादा है और उनकी ग्रोथ संदिग्ध है।
    सीख: कमजोर एसेट्स बेचें और हाई-क्वालिटी एसेट्स में पुनर्निवेश करें।

4. करेक्शन के कारण को समझें

स्टॉक्स में करेक्शन तीन कारणों से हो सकता है:

  • फंडामेंटल करेक्शन: जब कंपनी की बुनियादी स्थिति खराब हो।
  • टेक्निकल करेक्शन: जब स्टॉक प्राइस अपने लॉन्ग-टर्म चैनल से बाहर हो।
  • सेंटिमेंटल करेक्शन: जब बाजार की धारणा बदल जाए, जैसे डिफेंस स्टॉक्स में हालिया गिरावट।
    सीख: करेक्शन के कारण को समझें और निवेश का फैसला लें।

5. Downward Averaging में सतर्कता बरतें

Downward averaging का मतलब है कि जब स्टॉक्स गिरते हैं, तो अधिक खरीदारी करना।

  • लो-रिस्क एसेट्स में करें: Nifty 50 जैसे इंडेक्स में यह रणनीति काम करती है।
  • हाई-रिस्क एसेट्स से बचें: कमजोर कंपनियों के स्टॉक्स में इस रणनीति से बड़ा नुकसान हो सकता है।
    सीख: केवल मजबूत और लो-रिस्क एसेट्स में Downward averaging करें।

6. निष्कर्ष

स्टॉक मार्केट में नुकसान हर निवेशक के जीवन का हिस्सा है। सबसे ज़रूरी है अपने पोर्टफोलियो का संतुलन बनाए रखना और सही समय पर सही फैसले लेना।

  • कैश का सही इस्तेमाल करें।
  • मजबूत स्टॉक्स में निवेश बढ़ाएं।
  • कमजोर एसेट्स से दूरी बनाएं।

इन 5 बिंदुओं को अपनाकर आप अपने निवेश को स्मार्ट तरीके से संभाल सकते हैं। अब वक्त है सीखने और समझदारी से निवेश करने का!

डिस्क्लेमर: स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें या फिर अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें और उसके अनुसार ही निर्णय लें। इस आर्टिकल में दी गई सूचनाओं का उद्देश्य आम जनों के साथ निवेशकों और ट्रेडर्स को जागरूक करना और उनकी जानकारी में वृद्धि करना है।

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